विपक्षी नेताओं संग पीएम मोदी की दोस्ती क्यों बनी मिसाल,

मुलायम सिंह यादव के सैफई में मंगलवार को अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही शामिल न हो पाएं हों, लेकिन उनकी नेताजी के साथ प्रगाढ़ रिश्तों के किस्से फिर सुर्खियों में आ गए हैं. दिल्ली की सत्ता का रास्ता दिखाने वाले यूपी में धुर विरोधी पार्टी के सबसे बड़े नेता के प्रति पीएम मोदी का आदर दूरगामी संदेश देने वाला है. उन्होंने गुजरात की चुनावी रैली की शुरुआत मुलायम सिंह के प्रति शोक जताकर की थी.  पीएम मोदी के विपक्ष के कई अन्य नेताओं के साथ प्रगाढ़ संबंध रहे हैं, जो उन आरोपों पर चोट करते हैं कि प्राइम मिनिस्टर और उनकी पार्टी बीजेपी प्रचंड बहुमत के कारण विपक्ष की परवाह नहीं करती. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी इसी फेहरिस्त में रखा जा सकता है.

सपा नेता मुलायम सिंह के साथ उनकी गर्मजोशी तो कई बार दिखी है. मुलायम सिंह के पोते के तिलक समारोह में शामिल होने पीएम मोदी सैफई 2016 तक गए थे. तब भी नेताजी ने कहा था, पीएम मोदी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं, मेहनत-लगन से काम करते हैं. सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर प्रधानमंत्री बनने का विरोध करने वाले मुलायम ने फरवरी 2019 में लोकसभा के कार्यकाल के आखिरी सत्र में भरे सदन में पीएम मोदी को विजयी भव का आशीर्वाद देकर बड़ा दिल दिखाया था. सोमवार को गुजरात की चुनाव रैली में पीएम ने इसका जिक्र भी किया.

राज्यसभा के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद से भी पीएम मोदी का ऐसा ही जुड़ाव देखा गया है. आजाद के राज्यसभा से विदाई के दौरान जब जम्मू-कश्मीर के गुजरात के यात्रियों पर हुए हमले का जिक्र करते हुए पीएम मोदी भावुक हो गए थे. आजाद की फोन कॉल के बारे में बताते हुए मोदी ने कहा, तब जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन सीएम के तौर पर उनके आंसू नहीं रुक रहे थे. आजाद ने हमें सिखाया है, सत्ता जीवन में आती जाती रहती है, लेकिन उसे कैसे पचाना है, वो गुलाम नबी आजाद से सीखना चाहिए. गुलाम नबी आजाद ने डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बनाई है, जो जम्मू-कश्मीर में नेशनल कान्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला, अलगाववादी रुख दिखाती रहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और गांधी परिवार से इतर राज्य में राष्ट्रीय विचारधारा वाली पार्टी के बीजेपी के सियासी रुख के अनुकूल साबित हो सकती है.

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ भी पीएम मोदी का ऐसा ही नाता रहा. दो विपक्षी दलों के नेताओं की प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के तौर पर ऐसी बॉडिंग कम ही देखने को मिलती है.प्रणब 2014 से 2017 तक पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति थे. दोनों नेताओं के समन्वय का ही प्रतीक था कि कांग्रेस के बहिष्कार के बीच पीएम मोदी और प्रणब मोदी ने 1 जुलाई 2017 को आधी रात जीएसटी प्रणाली का आगाज किया, इसे 1990 के बाद देश में सबसे बड़े आर्थिक सुधार की संज्ञा दी गई. पीएम मोदी (Prime Minister) ने कहा था, प्रणब दा ने हमेशा पिता की तरह उनका ध्यान रखा है. 2014 में प्रधानमंत्री बनने का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा, जब वो दिल्ली आए तो उन्हें दिशानिर्देशन के लिए प्रणब मुखर्जी उपस्थित थे. उन्होंने उंगली पकड़कर मुझे आगे बढ़ने में मदद की.यह उनके जीवन का बहुत बड़ा सौभाग्य रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भी ऐसी ही आत्मीयता दिखाई थी. मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने पर एनडीए से नाता तोड़ने वाले और गुजरात से बिहार में बाढ़ के लिए भेजा गया सहायता चेक ठुकराने जैसे कड़वे घूंट पिए. 2014 में मोदी लहर आंधी बिहार में दिखाई दी. लेकिन पीएम मोदी ने बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें दोबारा बीजेपी की मदद से मुख्यमंत्री बनवाया. जबकि 2020 के चुनाव में जेडीयू तीसरे स्थान पर खिसक गई थी. हालांकि एक महीने पहले नीतीश ने एक बार फिर पाला बदल लिया और आरजेडी से हाथ मिला लिया.

Share post -

Live COVID-19 statistics for
India
Confirmed
44,690,738
Recovered
0
Deaths
530,779
Last updated: 6 minutes ago

यह वेबसाइट कुकीज़ या इसी तरह की तकनीकों का इस्तेमाल करती है, ताकि आपके ब्राउजिंग अनुभव को बेहतर बनाया जा सके और व्यक्तिगतर तौर पर इसकी सिफारिश करती है. हमारी वेबसाइट के लगातार इस्तेमाल के लिए आप हमारी प्राइवेसी पॉलिसी से सहमत हों.