ट्विटर में सऊदी अरब के बड़े निवेश की बात सामने आने के बाद अमेरिकी अधिकारियों में चिंता बढ़ गई है। डेमोक्रेटिक पार्टी के एक सीनेटर तो इस निवेश को राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ बताते हुए इस मामले की संसदीय जांच कराने की मांग कर दी है। हाल में माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर को दुनिया के सबसे धनी उद्योगपति एलन मस्क ने खरीदा है। उन्होंने ये खरीदारी 44 बिलियन डॉलर में की। इसी सिलसिले में यह सामने आया है कि सऊदी अरब का भी ट्विटर में निवेश है।
सामने आई जानकारी के मुताबिक ट्विटर में निवेश सऊदी अरब की एक कंपनी का है। इस कंपनी का मालिकाना सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड के हाथ में है। बताया जाता है कि सऊदी अरब ने इस कंपनी के जरिए ऐसी विभिन्न सोशल मीडिया साइटों में निवेश किया है, जिन्हें राजनीतिक चर्चा का मंच माना जाता है। सऊदी अरब सरकार पर आरोप है कि वह अपने यहां अभिव्यक्ति की आजादी का सख्ती से दमन करती है।
एलन मस्क ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर उठ रही चिंताओं के कारण ही उन्होंने ट्विटर को खरीदा है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि सोशल मीडिया साइटों को हर देश में वहां के कानून का पालन करना चाहिए। इन देशों में सऊदी अरब भी है, जबकि आरोप है कि वहां अभिव्यक्ति की लगभग ना के बराबर आजादी है। ट्विटर यूजर्स की संख्या से लिहाज से सऊदी अरब दुनिया में आठवें नंबर पर आता है।
ट्विटर में निवेश रखने वाली कंपनी का नाम किंगडम होल्डिंग कंपनी है, जिसके संस्थापक और अध्यक्ष सऊदी युवराज अलवालीद बिन तलाल हैं। ट्विटर में इस कंपनी के निवेश का कुल मूल्य 1.89 बिलियन डॉलर आंका गया है। सऊदी अरब के सॉवरेन वेल्थ फंड का किंगडम होल्डिंग कंपनी में 16.9 प्रतिशत हिस्सा हैं। सॉवरेन फंड के अध्यक्ष अभी युवराज मोहम्मद बिन सलमान हैं। आम समझ है कि सऊदी अरब की असली सत्ता प्रिंस सलमान के हाथ में ही है।
डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर क्रिस मर्फी ने सोमवार को कहा कि मैं कांग्रेस की विदेश निवेश समिति से अनुरोध कर रहा हूं कि ट्विटर की खरीद में सऊदी अरब की भूमिका की वह जांच करे।’ अमेरिका में विदेशी निवेश संबंधी तमाम मामलों की जांच यही समिति करती है। मर्फी ने कहा- ‘हमें सऊदी अरब को लेकर चिंतित होना चाहिए। सऊदी नेताओं की दिलचस्पी राजनीतिक अभिव्यक्ति का दमन करने और अमेरिकी नीतियों को प्रभावित करने में है। अब वे एक बड़े सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक बन गए हैं।
इस साल के आरंभ में ट्विटर के एक पूर्व कर्मचारी को सऊदी अरब के लिए जासूसी करने के आरोप में अमेरिका में सजा सुनाई गई थी। वह कर्मचारी सऊदी अरब की सरकार से असंतुष्ट लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठी करते और उन सूचनाओं को सऊदी अरब सरकार को भेजते पाया गया। साद इब्राहिम अलमादी नाम के उस पूर्व कर्मचारी को 16 साल की कैद सुनाई गई है।
उधर, ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इसी वर्ष सऊदी अरब में सलमा अल-शेहाब नाम की एक व्यक्ति को इस आरोप में 34 वर्ष की कैद सुनाई गई है, जो सरकार विरोधियों के ट्विट को रीट्विट करती थी। इसी पृष्ठभूमि के कारण अब ट्विटर में सऊदी निवेश यहां एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है।