राजस्थान पुलिस ने कहा है कि डूंगरपुर में मिले विस्फोटक का उदयपुर घटना या उससे जुड़े लोगों का कोई लेना देना नहीं है. पुलिस का कहना है कि सिर्फ ध्यान आकर्षित करने के लिए यह साजिश रची गई थी. पुलिस का कहना कि इस मामले में एक नाबालिग समेत 4 लोग शामिल थे. सभी के खिलाफ केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है.
अधिग्रहण के बाद भी नहीं मिला था मुआवजा- जयपुर पुलिस के मुताबिक वर्ष 1974-75 में रेलवे ने धूलचंद मीणा (32) की जमीन अधिग्रहण कर ली थी. इसके बाद वर्ष 1980 में हिंदुस्तान जिंक ने उनकी बची जमीन का अधिग्रण किया लेकिन इसके बदले में उसे न तो कईं नौकरी मिली और न ही उसे मुआवजा दिया गया. वह अपना हक हासिल करने के लिए कई सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा था लेकिन उसे कहीं से भी मदद नहीं मिल पा रही थी. इसके चलते वह गुस्से में था और अपनी भड़ास निकालना चाहता था.
घटना में 4 लोग थे शामिल- पुलिस के मुताबिक इस घटना में धूलचंद मीणा, प्रकाश मीणा (18) और एक नाबालिग समेत 4 लोग शामिल थे. धूलचंद मीणा ने अंकुश सुवालका से विस्फोटक खरीदे. घटना वाले दिन प्रकाश मीणा ने बाइक चलाई, जबकि नाबालिग उसके साथ बैठा था. जब ट्रेन पटरी से गुजर गई तो उन्होंने दोनों ट्रैक्स पर बमनुमा बंडल को रखा और उसके बाद उसमें आग लगा दी. पुलिस के अनुसार इस मामले में सुराग मिलने के बाद पुलिस चारों आरोपियों को दबोच लिया है और मामले की जांच चल रही है.
उदयपुर ब्लास्ट का अभी तक खुलासा नहीं- बताते चलें कि उदयपुर में रेलवे लाइन पर ब्लास्ट (Udaipur Blast) की घटना अब तक सुलझ नहीं पाई है. इस ब्लास्ट के चौथे दिन उदयपुर से करीब 70 किमी दूर डूंगरपुर जिले में भबराना पुलिया के नीचे सोम नदी से 186 किलो विस्फोटक बरामद किया गया था. पुलिया के नीचे 10 बोरों में जिलेटिन की छड़ें मिली थीं. मंगलवार शाम को वहां से गुजर रहे लोगों ने पुलिया के नीचे कार्टन पड़े देखे तो उन्होंने पुलिस को इस बात की सूचना दी. जिसके बाद यह मामला प्रकाश में आया था.